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परम पूज्य
रामकृष्ण मिश्र जी |
वन्दनीय माता
विधावती मिश्रा जी |
• यह श्रद्दांजलि है उस निष्काम कर्मयोगी को जिनकी प्रेरणा से यह कारवां आज वहां तक पहुंचा है।
• यह श्रद्दांजलि है उस वटवृक्ष को जिसकी हम सभी शाखायें है। जिसके आशीर्वाद से हमारे शिक्षा का उपवन फल फूल रहा है।
• यह श्रद्दांजलि है उस तपोवृत धारी, धर्मवान, शीलवान, क्षमावान, न्यायवान, युगदृष्टा महापुरुष को जिसका सपना शिक्षा का दिव्य पुंज बन समाज को आलोकित कर रहा है।
हे ! देव पुरुष हे ! प्रखर पुंज ! हुम सबके हो तुम आदर्श पुरुष !!
है तुमसे आलोकित अपना ! शिशु शिक्षालय यह नवल कुञ्ज !!
स्वप्न तुम्हारा ध्येय तुम्हारा ! तत्व तुम्हारा कर्म हमारा !!
शत शत अभिनन्दन हो तुमको ! प्रेम तुम्हारा मेरा सहारा !!