ज्यों ज्यों खर्चे,त्यों त्यों बढे,बिन खर्चे घट जात।
विकास खंण्ड बिछिया, असोहा के अन्तर्गत कोई भी महाविधालय नही था, इस कारण इस क्षेत्र में शैक्षिक स्तर अत्यन्त गिरा हुआ था। इस कारण इस क्षेत्र में जागरुकता का अभाव था। शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्र/छात्राओं को दूर दराज के क्षेत्रों में जाना पडता था। जिसके कारण छात्र/छात्राओं को शारीरिक एवं मानसिक कष्ट उठाना पडता था तथा अभिभावकों पर आर्थिक दबाव पडता था। जिसके कारण अनेक छात्र/छात्राएं शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते थे।
इस क्षेत्र की ज्वलंत समस्याओं को सुलझाने मे इसी क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित परिवार से सम्बन्धित व्यक्ति श्री प्रकाश चंद्र मिश्र जी ने यह संकल्प लिया कि विकास खंण्ड बिछिया की ग्राम सभा सकरन मे एक महाविधालय की स्थापना की जाये। परिणाम स्वरूप 2010 मे अपने पूज्य पिता जी एवं वन्दनीय माता जी की पुण्य स्म्रति मे रामकृष्ण विधावती महाविधालय की स्थापना की आधारशिला रखी। इस पुनीत कार्य मे ग्राम सकरन निवासी श्री राकेश उर्फ पप्पू अवस्थी व श्री दिनेश कुमार तिवारी जी का अथक प्रयास रहा। छात्र/छात्राओं मे गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करना प्रबन्धक महोदय का मुख्य लक्ष्य है। इस महाविधालय को जून 2012 मे उ0प्र0 शासन, श्री छत्रपति शाहु जी महाराज विश्वविधालय कानपुर द्वारा बी0ए0 एवं बी0काम0 की मान्यता प्रदान कर दी गयी है। दैनिक कक्षाओं का संचालन होता है जिससे परिश्रम के आधार पर सफलता की गारण्टी है।
उधमेन पुरुष सिंहऽमुपैति लक्ष्मी
डा0 सुनील कुमार चतुर्वेदी
एम.ए., बी.एड., पी.एच.डी.
प्राचार्य
(09450056554)
एम.ए., बी.एड., पी.एच.डी.
प्राचार्य
(09450056554)